Monthly Archives: August 2012
Dr. J.B.D. Castro – Long live Homoeopathy – डॉ. जे .बी.डी. कास्ट्रो – होमियोपैथी ज़िंदाबाद
1962-63 में स्वामी व्यास देव की पुस्तक ‘बहिरंग-योग’ पढ़ कर योग सीखना शुरू किया. हृदयगति को रोकने वाला ‘हृदय स्तंभन प्राणायाम’ भी सीखा. इसी लिए प्राणायाम करने के बाद अपनी हृदय की धड़कन जाँचने की आदत पड़ गई हाँलाकि यह प्राणायाम अधिक समय तक नहीं किया. 1973 में एम.ए. करने के दौरान एक बार लगा कि मेरी धड़कन नार्मल नहीं थी. जब साँस अंदर लेने के बाद साँस बाहर निकालता था तो एक धड़कन मिस हो जाती थी.
Dr. J.B.D. Castro |
घर आकर डॉक्टर की बात को फिर से समझा. विचार आया कि कुछ है जो ‘एग्ज़ेग्रेशन’ है. साइकिल उठाई और सीधे होमियोपैथ डॉक्टर जे.बी.डी. कैस्ट्रो के यहाँ चला गया. दिल की सारी बात बताई. डॉक्टर ने मोटी-मोटी आँखों में से गहरी नज़र डाली. अपने टिपिकल केरलाइट हिंदी उच्चारण में पूरे अपनत्व के साथ कहा, “ओह! यह तकलीफ़ उनको होती है जो अपना दिल अपने पास ही रखते हैं, किसी को नहीं देते. वहाँ बेड पर लेट जाओ.” उनके स्टाइल पर मुस्कराता हुआ मैं वहाँ जाकर लेट गया. डॉ. कैस्ट्रो अपना स्टेथोस्कोप पकड़े मुझे ध्यान से देखे जा रहे थे. अचानक उन्होंने एक पुराना फिल्मी गीत गुनगुनाना शुरू किया- ‘इस दिल के टुकड़े हज़ार हुए, कोई यहाँ गिरा कोई वहाँ गिरा…’. उनके गाने पर मेरी हँसी छूट गई. वे उठे, जाँच करने के बाद बोले, “तुम को कुछ नहीं हुआ है. हार्ट-वार्ट बिलकुल ठीक है. पल्पीटेशन की मेडिसिन ले जाओ. ठीक हो जाओगे.”
कुछ दिन पहले किसी ने बताया है कि जिसे वाक़ई दिल की तकलीफ होती है उसकी आँखों में चिंता होती है और वह डॉक्टर को रिपोर्ट करते समय मुस्करा नहीं सकता. जबकि डॉ. कैस्ट्रो के गाने पर मैं मुस्करा रहा था. शायद डॉ. कैस्ट्रो इसी लक्षण को जाँच-परख रहे थे.
Nobel laureate gives homeopathy a boost (यह महत्वपूर्ण यह लिंक प्रिय भाई सतीश सक्सेना ने टिप्पणी के द्वारा भेजा है. आभार.)
Dr. J.B.D. Castro
Dr. Dinesh Sahajpal
Reservation in services – नौकरियों में आरक्षण
डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ने सरकारी नौकरियों में पदोन्नतियों में आरक्षण पर एक पोस्ट लिखी जिसे पढ़ कर कोई भी भावुक हो सकता था. मैं भी. उस पोस्ट को आप ऊपर दिए चित्र पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं. उनकी पोस्ट पढ़ने के बाद मैं कमेंट लिखने से स्वयं को रोक नहीं सका. मुझे लगा कि आरक्षण की समस्या का एक ऐसा पहलू भी है जिसे पाठकों तक पहुँचना चाहिए. डॉ. दिव्या के कमेंट्स उनकी पोस्ट पर देखे जा सकते हैं.
आरक्षण विरोधी यह हमला करना नहीं भूलते के क्या दलित अपना या अपने परिवार का इलाज आरक्षण का लाभ उठा कर बने (घटिया) डॉक्टर से कराना चाहेंगे?
सरकारी अस्पतालों में बहुत से दलित वर्षों से कार्यरत हैं. लोग उनसे इलाज कराते हैं. वे न जानते हैं न पूछते कि डॉक्टर की जाति क्या है. इलाज करा कर घर चले जाते हैं. बहुत से दलितों के अपने क्लीनिक हैं. वे सफल प्रैक्टिस कर रहे हैं और समाज सेवा में संलग्न हैं.
काश, आरक्षण विरोधी जनरल वाले डॉक्टरों से पूछते कि आपके नाम के साथ शर्मा लगा है, आप आरक्षण से तो नहीं आए या कम अंकों के कारण आपने डोनेशन दे कर मेडिकल की सीट तो नहीं खरीदी थी?
चिकित्सा के क्षेत्र में अकूत सरकारी और गैर-सरकारी धन आता है. आरक्षण विरोध का एक कारण वह धन भी है. यहाँ भी वही कोशिश है कि कहीं पैसे का प्रवाह दलितों की ओर न जाए.
आरक्षण का लाभ उठा कर अच्छी आर्थिक हालत में आ चुके और अच्छी शिक्षा ले सकने में सक्षम दलितों से आरक्षण वापस लेने की बात इस लिए उठाई जाती है कि दलित अब मैरिट वाली सीटें लेने लगे हैं. मैरिट के ध्वजाधर सवर्णों को दलितों का यह मैरिट हज़म नहीं होता. बेहतर होगा पहले इन दलितों को ‘मैरिट समूह’ में स्वीकार किया जाए. ऐसा करने से देश के मानव संसाधनों के बेहतर प्रयोग का मार्ग बनेगा. वैसे मानव संसाधनों को बरबाद करने में हमारा रिकार्ड बहुत चमकदार है.
सवर्ण मानसिकता वाले वकालत करते हैं कि आरक्षण का लाभ पढ़े-लिखे मैरिट वाले दलितों के लिए समाप्त करके उन दलितों को दिया जाए जो अभी ग़रीब हैं (जो अच्छी शिक्षा के मँहगा होने के कारण कंपीट करने की हालत में नहीं आए). वास्तविकता यह है कि सस्ते स्कूलों में पढ़ कर आए ग़रीबों के लिए आरक्षित सीटों को यह कह कर अनारक्षित करना बहुत आसान हो जाता है कि ‘योग्य उम्मीदवार नहीं मिले’. इसका लाभ किसे होता है, विचार करें. इस मामले का रेखांकित बिंदु शिक्षा का है और दलितों तक पहुँच रही शिक्षा का हाल आप सभी जानते हैं. ग़रीबी और महँगी शिक्षा में दोस्ती कैसे हो सकती है.
यह तो सरकारी नौकरियों की बात है. इसके आगे का मुद्दा तो निजी क्षेत्र में आरक्षण का है जिसमें रोज़गार की संभावनाएँ बहुत अधिक हैं. तैयारी वहाँ की करनी चाहिए.
Development of Human Resources :(( |
एवरेस्ट पर चढ़ने वाली वाल्मीकि समाज की महिला- ममता सौदा. आईएलएलडी ने उसे सम्मान दिए जाने पर विरोध जताया था. |