Category Archives: Mandal Commission

‘Social Justice Day’ – 07 Agust – ‘सामाजिक न्याय दिवस’ – 07 अगस्त


फेस बुक पर एक पोस्ट में 07 अगस्त को भारत के गुलामों के लिए ऐतिहासिक दिन कहा है. प्रधानमंत्री श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह (V.P. Singh) ने 07.08.1990 को, कमंडल के प्रत्युत्तर में ही सही, लेकिन संसद में मंडल आयोग (Mandal Commission) की सिफ़ारिशों को स्वीकार करके एक ऐतिहासिक कार्य कर दिया था. इससे भारत की गुलाम कौमों के एक वर्ग को पिछड़ा वर्ग के तौर पर आरक्षण जैसे सरकारी लाभ मिलने की शुरुआत कर दी. उनके इस कदम ने भारतीय राजनीति का चेहरा पूरी तरह बदल दिया.

मंडल आयोग की सिफ़ारिशों को स्वीकार करने के बाद सारे उत्तर भारत में विरोध प्रदर्शन हुए जिसमें अनपढ़ और डरे हुए पिछड़े भी आरक्षण के विरोध में आत्महत्या का खेल खेलते देखे गए. शायद उन्हें लग रहा था कि वे अगड़ों में शामिल हो चुके थे.
भारत के बिकाऊ मीडिया को बिकने के लायक मसाला मिल गया और उसका जातिवादी और मनुवादी चेहरा और भी स्पष्ट रूप में सामने आया. उस समय पिछड़े बोलने की हालत में नहीं थे. उधर अनुसूचित जातियों पर मानसिक दबाव बढ़ा दिया गया. आज पिछड़े बोलने की हालत में हैं. कुछ राज्यों में उन्होंने अपने वोट बैंक को संगठित किया है. शरद यादवलालू प्रसाद यादवनितीश कुमारमुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव, स्वामी रामदेव, अन्ना हज़ारे एक लय में कार्य करते नज़र आते हैं. इसका श्रेय तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को जाता है.
लेकिन पता नहीं क्यों ये ओबीसी अचानक सत्ता के मद में इतना बह गए कि भारत के पिछड़े समाज के समग्र उत्थान का संकेत भुला बैठे. विश्वनाथ प्रताप सिंह के बनाए चौड़े रास्ते के प्रति श्रद्धा और विश्वास रखना श्रेयस्कर होगा. अन्यथा यही समझा जाएगा कि इन्होंने ग़ुलामी की मानसिकता से अभी छुटकारा नहीं पाया है.
होना तो यह चाहिए कि पिछडे, दलित और जनजातियाँ (OBCs, SCs and STs) 07अगस्त को सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाएँ और श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को याद करें जिन्होंने सामाजिक न्याय के लिए स्वयं को एक बड़ी लड़ाई में झोंक दिया था और उस संघर्ष को जन्म दिया जो आगे चल भारत के सामाजिक-राजनीतिक स्वरूप को बदलने वाला है. और भी अच्छा हो यदि ये सभी मिल कर ज्योतिबा फुले और डॉ. अंबेडकर के प्रयासों को भी उतनी ही श्रद्धा से इस दिन याद करें.

Megh Politics