फेसबुक पर मैं दिलीप मंडल के स्टेटस बहुत ध्यान से देख रहा हूँ. विषयों पर उनकी पकड़ बढ़िया है और उनका संपादकीय अनुभव इसमें योगदान देता है. अभी हाल ही में उन्होंने आआप (आप पार्टी) पर एक स्टेटस लिखा था जिसका कैनवास, जिसे आजकल की भाषा में सीन कहा जाता है, काफी बड़ा हो गया था. उसे यहाँ रख रहा हूँ –
1.
“जिस दिन ‘आप‘ ने अफ्रीकी औरतों पर नस्लवादी हमला करने वाले अपने मंत्री का बचाव किया, उसी दिन अरुणाचल के बच्चे नीदो की नस्लवादी हिंसा में हत्या की पृष्ठभूमि बन गई थी.”
“शासन इकबाल से चलता है. सच है कि कोई भी सरकार हर एक आदमी को सुरक्षा नहीं दे सकती. लेकिन अगर सरकार का इकबाल बुलंद है तो एक लाठीधारी सिपाही 5,000 लोगों की बस्ती को सुरक्षा प्रदान कर सकता है और न हो तो लाजपत नगर कांड हो जाता है.”
“आम जनता से लेकर पुलिस और प्रशासन के लोग शासन करने वालों का मिजाज समझने की कोशिश करते हैं और उसी के मुताबिक आचरण करते हैं.
नीदो की हत्या के विरोध में हुए छात्रों के आंदोलन में शामिल न होकर AAP ने अपने बारे में बनी धारणा को मजबूत किया है.”
“सरकार चाह ले कि नस्लवादी हिंसा नहीं चाहिए, तो हिंसा नहीं होगी.”
“सरकार नस्लवाद को शह देगी, तो इसके कास्केडिंग इफेक्ट होंगे.”
“रणबीर सेना को रोकने की मंशा होती, तो जरुर रोक लेते. नीयत का सवाल है.
नीयत का मामला है.”
“दलितों का नरसंहार और सांप्रदायिक मजहबी दंगे में अगर आपको फर्क नहीं मालूम तो मैं यहां आपको ट्यूशन पढ़ाने नहीं बैठा हूँ.”
2.
केजरीवाल ने खाप पंचायतों की प्रशंसा में कुछ कह दिया बिना यह जाने कि उच्चतम न्यायालय ने इन खापों के बारे में क्या कहा है. वैसे भी केजरीवाल जब पंचायती राज की बात करते हैं तो वे भूल जाते हैं कि जनमानस ऐसी पंचायतों से पीछा छुड़ाने के मूड में है क्योंकि पंचायतें कप्पशन का अड्डा बन चुकी हैं और कई सदियों से ऐसी पंचायतें उन मूल्यों को बलात् लागू कर रही हैं जो आज के सामाजिक विकास में बहुत बड़ी बाधा हैं. खैर, दिलीप मंडल जी की टिप्पणियाँ देखिए–
“खाप अगर कल्चरल है तो ऑनर किलिंग शास्त्रीय संगीत है और प्रेमी जोडों की पिटाई सुगम संगीत.”
“अरविंद केजरीवाल खाप का समर्थन यह जानकर भी करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट खाप पंचायतों को गैर कानूनी घोषित कर चुका“
“अगर खाप कल्चरल है तो चमड़े का कारोबार करने वालों की हरियाणा में हुई सामूहिक हत्या को तो यज्ञ माना जाएगा?”
संदर्भ–