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Hindi Day, 14h September – हिंदी दिवस – 14 सितंबर

भाषा की दृष्टि से केंद्र सरकार का स्टाफ दो वर्गों में बँटा है. अंग्रेज़ी कबीला जो खुद को अंग्रेज़ ही मानता है और हिंदी कबीला जो खुद को मूलतः हिंदी का मिशनरी मान कर चलता है. आम धारणा है कि हिंदी में यदि कुछ किया जाना है तो हिंदी कबीला करेगा. अँग्रेज़ी कबीला मुसीबत में ही हिंदी को हाथ लगाएगा.
कंप्यूटर जब आए तो उनके साथ आधुनिकता और ग्लैमर आया. अंग्रेज़ी कबीला तुरत कंप्यूटर पर अकड़ कर बैठ गया और अंग्रेज़ी टाइपिंग का काम अपने हाथ में ले लिया. बाद में कंप्यूटर पर हिंदी आ गई. अंग्रेज़ी कबीला की-बोर्ड में हिंदी का अस्तित्व देख कर बिदका. इसके अनुसार कंप्यूटर में हिंदी ऐसा शॉर्ट सर्किट है जिस पर उँगली नहीं पड़नी चाहिए.
अन्य स्टाफ़ हिंदी में काम नहीं करता तो न करे. दंड का कोई प्रावधान नहीं है. राजभाषा का करबद्धकाडर दफ़्तर के किसी गंदे से कोने में बैनर ले कर खड़ा रहता है- ‘हिंदी में काम करना आसान है.’ लेकिन अन्य कोनों से इसकी प्रतिध्वनि यों आती हैहिंदी तुम्हारी सेवा का नाम है.

हर साल 14 सितंबर को ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है. इस कबीले के लिए यह एक प्रकार की ’26 जनवरी’ है जिस दिन इसकी फूलों सजी झाँकी निकाली जाती है. मंच पर बैठे अंग्रेज़ी बॉस के गले में हार डाले जाते हैं. बैनर-वैनर, भाषण-वाषण, गाना-वाना, फोटो-वोटो, खाना-पीना होता है. समारोह समाप्त. 

सीढ़ियों पर, दफ़्तर भर में चढ़ता-भागता यह कबीला शाम पाँच बजे लंबी साँस ले कर अपने बॉस लोगों और साथियों को कोस लेता है- ‘आज सरकारी खर्चे पर तुमने ख़ूब काजू-बादाम खा लिए, कमबख्तो!! हिंदी में काम तुम धेले का नहीं करते.’ 

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अचानक मुझे भारत के एक दबे कुचले संवर्ग की याद हो आई. सरकारी कार्यालयों में एक अलग रंग का कबीला है जिसे हिंदी स्टाफ़ कहा जाता है. सभी कार्यालयों में आम धारणा है कि दफ़्तर में यदि हिंदी में कुछ किया जाना है तो यही कबीला करेगा. अँग्रेज़ कबीला हिंदी को छूने का कार्य नहीं करेगा.
सौ-दो सौ स्टाफ़ वाले कार्यालय में कितना हिंदी स्टाफ़ होता है. दो नहीं तो चार. अंग्रेज़ी स्टाफ़ बहुसंख्यक समुदाय बना रहता है. वह जब चाहे हिंदी कबीले को अनुवाद की गठरी से ओवरलोड कर दे, जब चाहे दबाव बना दे यू डू इट इन हिंदी बाबा!! व्हॉट फॉर यू आर हियर?’ बैंकों के कई हिंदी अधिकारी अब जनरल बैंकिंग करते हैं और फील्ड में जा कर ऋण वसूली का कार्य देखते हैं तिस पर हिंदी स्टाफ़ होने की तोहमत भी उठाए फिरते हैं. सिग्नल गए हैं कि बिज़नेस पहले बाकीबाद में. संसदीय राजभाषा समिति सब जानती है.
कंप्यूटरों से पहले टाइपराइटर सारा-सारा दिन अंग्रेज़ी में टिपटिपाते थे. अब कंप्यूटरों आए तो उन संग अंग्रेज़ी ठुमकती हुई आ पधारीं. अफ़सर तुरत कंप्यूटर पर अंग्रेज़ी की-बोर्ड के निःशब्द ताल पर थिरकने लगे. पता चला कि उसी की-बोर्ड पर हिंदी भी थिरक सकती है तो उन्हें हिंदी की सरकारी नौटंकी में शामिल होने का ख़ौफ़ सालने लगा. ये हिंदी को ऐसा गटर समझते हैं जिसमें उनका पाँव नहीं लगना चाहिए.
हिंदी अधिकारी ने हिंदी की नौकरी करनी है और कार्यालय प्रमुख को हरगिज़ नाराज़ नहीं करना है. कोई हिंदी में काम नहीं करता या कार्यान्वयन में कोताही करता है, तो करे. हिंदी का करबद्धकाडर सेवा में है.
अवास्तविक आँकड़े देने में हिंदी स्टाफ़ और अंग्रेज़ी स्टाफ़ की मित्रता प्रगाढ़ है. हिंदी अधिकारी वास्तविक आँकड़े प्रस्तुत करे तो कार्यालय प्रमुख कहता है, भाई मेरे मुझे भी नौकरी करनी है, तुम्हें भी करनी है. प्रधान कार्यालय को जवाब देना है और दफ्तर भी चलाना है. इन आँकड़ों को अपने कृपालु हाथों से ठीक कर लो यार.….या फिर यही कार्यालय प्रमुख कहते हैं, मिस्टर हिंदी ऑफिसर, तुम्हारी कितनी सर्विस हो गई है? तुम अपने साथियों से हिंदी में काम नहीं करवा सकते? यू आर टोटली इनइफ़ेक्टिव….क्या बोलते हैं…..अप्रभावी हो!!” यही कार्यालय प्रमुख साल में कई बार सभीसे हिंदी में काम करने की अपील करते हैं. जब कैबिन में होते हैं तो अपने साथी अधिकारियों को सदा उत्साही आवाज़ में कहते हैं,पहले काम, हिंदी-विंदी बाद में. देख लेंगे जो गोली चलेगी.
हिंदी स्टाफ़ खटता फिरता है. हिंदी में करवा लीजिए न सर जी. यह एकदम शाकाहारी कबीला है. हिंदी अधिकारी के लिए इबारत बहुत साफ़ है- हिंदी लागू हो या न हो लेकिन तुम लगे रहो मुन्ना भाई.
कार्यालयों में शतप्रतिशत कार्य हिंदी में होने लगा है. इस बीच हिंदी अधिकारी की कनपटी पर RTI के गब्बर सिंह की रिवाल्वर आ सटी है- तेरा क्या होगा कालिया हः हः…हः हः…