Category Archives: मेघसेना

National Sarv Meghvansh Mahasabha – राष्ट्रीय सर्व मेघवंश महासभा का दिल्ली में सेमीनार

दिनाँक 10 अप्रैल 2011 को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राष्ट्रीय सर्व मेघवंश महासभा (इंडिया) ने एक सेमीनार का आयोजन किया जिसमें इस विषय पर विचार-विमर्ष कया गया कि मेघवंश को एक सूत्र में कैसे पिरोया जाए जो अनेक नामों में बँटा हुआ है. देश में इसकी संख्या 16 से 21 प्रतिशत है और यह 1671 नामों में बँटा हुआ है. नामों को जोड़ना कठिन कार्य है. परंतु आज इसकी सख़्त ज़रूरत है.
मेरा विचार है कि मेघवंशियों के किसी समूह या समूहों के समूह का यह पहला आयोजन था जो तालकटोरा स्टेडियम में किया गया.  (इस कार्यक्रम के आयोजकों का एक प्रतिनिधि मंडल 2010 में भगत महासभा, जम्मू के निमंत्रण पर कबीर जयंती समारोह में भाग लेने गया था. इन समूहों को एक मंच पर एक साथ देख कर अच्छा लगा था). ऐसे आयोजन होते रहने चाहिएँ.

राजस्थान में गठित मेघ सेना का दिल्ली में पहला पथ-संचालन किया गया जो इंडियागेट से तालकटोरा स्टेडियम तक चला.

सेमिनार में सर्वश्री कैलाश मेघवाल, योगेंद्र मकवाना, चौ. चाँदराम. गोपाल डेनवाल, आर.पी. सिंह आदि मौजूद थे जिन्होंने उपस्थितों को संबोधित किया.
इस अवसर पर जारी प्रेस विज्ञप्ति की पीडीएफ के लिए यहाँ देखें. कई मित्र पूछ सकते हैं कि इसे मीडिया ने कवरेज क्यों नहीं दी.? इसका उत्तर एक प्रश्न है कि आपका मीडिया है कहाँ? क्या आपने अपना मीडिया बनाया है?

शेष कहानी आप चित्रों की ज़ुबानी सुन सकते हैं.

Rashtriya Meghvansh Mahasabha….और राष्ट्रीय मेघवंश महासभा का कारवाँ निकल पड़ा

सर्वश्री योगेंद्र मकवाना, कैलाश मेघवाल और आर.पी. सिंह

दर्शकों से भरा सभागार
राष्ट्रीय मेघवंश महासभा, दिल्ली का एक विशाल सेमिनार 26 दिसंबर 2010 को मेघगंगा सामुदायिक भवन, बनीपार्क, जयपुर में संपन्न हुआ जिसमें राजस्थान के अनेक जिलों से सैंकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता पहुँचे. गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा  आदि प्रांतों से भी बड़ी संख्या में लोग आए. सेमिनार के मुख्य अतिथि डॉ. योगेंद्र मकवाना (पूर्व केंद्रीय मंत्री) तथा सभापति श्री कैलाश मेघवाल ((पूर्व केंद्रीय मंत्री) थे. महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल डेनवाल ने विजय की प्रतीक तलवार श्री कैलाश मेघवाल को भेंट की.

इस सभा को पूर्व सांसद सुश्री जमना बारूपाल, सर्वश्री आर.पी सिंह, गिरधारी लाल कटारिया, दिनेश सांडिला के अतिरिक्त अन्य प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया. शिक्षा और संगठन पर जोर दिया गया. सर्व मेघवंशी समाज ने श्री डेनवाल को राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वीकार किया. इस अवसर पर एक नए समाचार-पत्र ‘दर्द की आवाज़’ का विमोचन भी किया गया.

MEGHnet

Megh Sena

मेघ सेना
भारत में कई सामाजिक और धार्मिक सेनाएँ बनी हैं. इन्हीं में एक नाम और जुड़ा है मेघ सेना का. मेघवाल समाज का संगठन रजिस्टर्ड है और इसकी उपविधि भी है. मेघ सेना इसी की एक इकाई है. 07-02-2009 को राजस्थान में मेघ सेना का गठन हुआ. इसके लिए मेघवाल समाज की एक बैठक की गई जिसमें प्रदेश कार्यकारिणी और ज़िला केंद्र बनाए गए. इसी बैठक में मेघ सेना का ड्रेस कोड और वर्दी निर्धारित की गई. 04-07-2009 को प्रदेश कार्यकारिणी की प्रथम बैठक हुई जिसमें सभी ज़िलों के मेघ सैनिक आमंत्रित किए गए. तारीख़ 31-10-2009 को जयपुर में मेघ सेना का प्रथम फ्लैग मार्च किया गया. फ्लैग मार्च के बाद एक बैठक की गई जिसमें यह संकल्प पास किया गया कि विभिन्न नामों से जानी जाने वाली सभी मेघवंशी जातियों का आपसी संपर्क बढ़ाया जाए और उन्हें एक सूत्र में बाँधा जाए.
इसी सिलसिले में दिनाँक 01-11-2009 को राष्ट्रीय सर्वमेघवंश महासभा का गठन किया गया. इसमें भारत के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया. यह बैठक होटल इंडियाना क्लासिक, जयपुर में की गई. इसमें तय किया गया कि मेघवंशी जातियों के विभिन्न संगठनों को एक मंच पर लाने का कार्य शीघ्र निष्पादित किया जाए. कार्यकारिणी बनाई गई. प्रदेश अध्यक्षों के चयन का निर्णय लिया गया. संकल्प पास किया गया कि मेघवंश समाज की विभिन्न जातियों के संगठनों से संपर्क बढ़ा कर उन्हें राष्ट्रीय मेघवंश मंच से जोड़ा जाए और साथ ही मेघ सेना को राष्ट्रीय स्तर पर संगठित किया जाए.
इसी दिन महिला विंग का गठन किया गया जिसकी अध्यक्षा श्रीमती प्रमिला कुमार (हाईकोर्ट की रिटायर्ड जज और कंज़्यूमर स्टेट फोरम की चेयरपर्सन) हैं. यूथ विंग भी गठित किया गया और श्री नरेंद्र पाल मेघवाल को इसके अध्यक्ष बनाया गया.

21-03-2010 को राष्ट्रीय सर्वमेघवंश महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें एक फिल्म के निर्माण का फैसला लिया गया ताकि मेघवंशीय संगठनों में एकता की प्रक्रिया तेज़ की जा सके. इसकी पटकथा और गीत लिखे जा चुके हैं. निर्माण की कार्रवाई चल रही है.

दिनाँक 04-07-2010 को कार्यकारिणी और प्रदेशाध्यक्षों की बैठक हुई. तय हुआ कि प्रत्येक प्रांत में सम्मेलन आयोजित किए जाएँ. उक्त योजना के तहत नवंबर और दिसंबर 2010 में पंजाब, राजस्थान (श्रीगंगानगर), हरियाणा (हिसार) और मध्य प्रदेश में उज्जैन या मंदसौर में सम्मेलन आयोजित किए जाएँगे.
विशेष टिप्पणी: भारत में कई सेनाओं का गठन हुआ है. कुछ ने सामाजिक कार्य किया और कुछ हिंसात्मक गतिविधियों का पर्याय बन गईं और कुछ राजनीतिक पार्टियों का महत्वपूर्ण अंग बनीं. मेघ सेना अभी स्वरूप ले रही है. इसकी भूमिका का मूल्यांकन अभी कुछ वर्ष बाद ही हो पाएगा. जहाँ तक मेघवाल समाज का प्रश्न है मेरी जानकारी में है कि इस समाज के लोगों को बारात के मौके पर घोड़ी या कार का प्रयोग नहीं करने दिया जाता. यह गाँवों में होता है. दूल्हे को घोड़ी से उतार कर पीटने या बारात पर पत्थर फेंकने की कई घटनाएँ रपोर्ट हो चुकी हैं. मीडिया ऐसा करने वालों को दबंग जैसे शब्दों से महिमा मंडित करने का कार्य करता है. शिक्षित वर्ग इस विषय में एक मत होगा कि किसी की बारात पर पत्थर फेंकना वास्तव में संवेदनहीन और अनपढ़ लोगों का कार्य होता है.

Megh Sena song

Other links from this blog

MEGHnet