Rajtarangini and Meghs
कल श्री ताराराम जी ने कल्हण की राजतरंगिणी की पीडीएफ फाइल भेजी थी जिसके वे पृष्ठ पढ़ गया हूँ जो सम्राट मेघवाहन से संबंधित हैं, जो एक बौध राजा थे, और इन विचारों से जूझ रहा हूँ.
1. लेखक एक ब्राह्मण था. पता नहीं उसके लिखे इतिहास पर कितना विश्वास किया जा सकता है.
2, पुस्तक की भाषा बताती है कि लेखन में काफी भावुकता है और कि वह सत्य पर हावी हो सकती है. तब कितना भरोसा किया जाए.
3. ख़ैर, पुस्तक बताती है कि बौध राजा मेघवाहन को गांधार से बुला कर कश्मीर का राजा बनाया गया जिसने अपने सुशासन से प्रजा का हृदय जीत लिया.
4. बाकी बातों को छोड़ यदि केवल मेघवाहन शब्द पर ही विचार किया जाए तो पहला प्रश्न यह है कि क्या हम ‘मेघवाहन‘ से ही ‘मेघ‘ जाति की व्युत्पत्ति (शुरुआत) मान लें. ऐसा नहीं लगता.
5. भाषा विज्ञान की दृष्टि से ‘मेघवाहन‘ शब्द से कई शब्द निकले हो सकते हैं, जैसे– मेद, मघ, मेघ, मेध, मेथा, मेधो, मेगल, मेगला, मींघ, मेघवाल, मेंग, मेंघवाल, मेघोवाल, मद्र, मल्ल आदि. अधिक संभावना मींघ, मेंघवाल, मेघवाल की है. ये सभी शब्द दलित समुदायों से संबंधित हैं और इतिहास के अनुसार दलित उन्हें ही बनाया गया जिन का मूल बौधधर्म में था. संभावना इस बात की भी लगती है कि सम्राट मेघवाहन मेघ/मेघवाल रहे हों जो अफ़गानिस्तान में बसे थे. इतिहास में उल्लिखित ‘Dark ages’ में ‘मेघ‘ नाम (वंशावली नाम) वाले कई राजा हुए हैं लेकिन उनके बाद उन राजाओं के नाम को सरनेम की तरह अपनाने वाले समुदायों का उल्लेख कहीं नहीं मिलता. हाँ, अलबत्ता ‘मेघ‘ नाम वाले मानव समूहों की संख्या काफी बड़ी है और वे सदियों से गुमनामी में हैं.
6. दूसरी ओर यह भी तथ्य है कि दुनिया में कोई ऐसा मानव समूह नहीं है जिसका अपना कोई पूर्वज राजा या शासक न रहा हो. यानि तर्क को सिर के बल खड़ा करके देखें तो भी मेघों के समूह का कोई तो राजा रहा होगा.
7. ‘मेघ‘ शब्द के कई अर्थ हो सकते हैं. इस पर भी चर्चा हो सकती है. बुद्ध का एक नाम ‘मेघेंद्र‘ है जिसका अर्थ है– मेघों का राजा.
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