Category Archives: BAMCEF

BAMCEF-3 – बामसेफ-3

बामसेफ-बीएमएम चंडीगढ़ यूनिट की एक साप्ताहिक बैठक 04-11-2012 को अंबेडकर भवन, सैक्टर-37 ए, चंडीगढ़ में आयोजित हुई जिसमें भाग लेने का अवसर मिला. बामसेफ से मेरा संपर्क युवावस्था में हुआ था जब मैंने इसकी एक बैठक ए.जी. ऑफिस सैंक्टर-17 में देखी थी. बाद में माननीय काशीराम जी के देहत्याग के बाद बामसेफ काफी उतार-चढ़ाव में से गुज़री है. अब माननीय वामन मेश्राम के नेतृत्व में इसने काफी प्रगति की है और आरक्षण प्राप्त शूद्र और दलित कर्मचारियों के एक राष्ट्रव्यापी संगठन के रूप में जानी जाती है. बामसेफ दो समाचार पत्रों का प्रकाशन कर रही है. मूलनिवासी नायक जो दैनिक है और बहुजनों का बहुजन भारत जो साप्ताहिक है. इनका प्रकाशन लखनऊ और पुणे से हो रहा है.

प्रकाशनों से स्पष्ट होता है कि बामसेफ की एक सुस्पष्ट विचारधारा है जिसका वह प्रचार करती है और सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन के लिए प्रतिबद्ध है. इसके सामाजिक संगठन का नाम भारत मुक्ति मोर्चा है.

प्रतिभागी- (बैठे हुए बाएँ से) सुश्री संतोष, सर्वश्री दिलीप कुमार अंबेडकर, राजसिंह पारखी, हरिकृष्ण साप्ले, रामभूल सिंह, सतपाल, नंदलाल, अनिल यादव और जयप्रकाश,
(खड़े हुए) जेम्ज़ मसीह गिल, मनोज वर्मा, फूल सिंह, मल्लू राम, अयोध्या प्रसाद, कुलदीप माही, रामबहादुर पटेल और सुरेंद्र कुमार.

MEGHnet    

BAMCEF-2 – बामसेफ-2



कल 21-10-2012 को बामसेफ चंडीगढ़ यूनिट ने कॉमनवेल्थ यूथ प्रोग्राम, एशिया सेंटर, सैक्टर-12 के हाल में एक दिवसीय इतिहासात्मक और विचारधारात्मक प्रशिक्षण काडर कैंप (Historical and Ideological Training Cadre Camp) का आयोजन किया. इसमें भाग लेने का मौका मिला. इस प्रशिक्षण कैंप में मुख्य प्रशिक्षक और वक्ता मान्यवर अशोक बशोत्रा, सीनियर एडवोकेट (Mr. Ashok Bashotra, Sr. AdvocateHigh Court J&K) थे जो जम्मू से पधारे थे.

उनके अभिभाषण में बहुतसी जानकारी थी. जिसमें से मैं दो बातों का यहाँ विशेष उल्लेख करना चाहता हूँ:-
1. किसी भी मनुष्य के लिए तीन चीज़ें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं. ‘ज्ञान’- जिससे मनुष्य अपने समग्र जीवन को बेहतर बनाता है, ‘हथियार’- जिससे वह अपने प्राणों की रक्षा करता है और ‘संपत्ति’- जो उसके जीवन को गुणवत्ता प्रदान करती है. मनुस्मृति के प्रावधानों के द्वारा देश के मूलनिवासियों (SC/ST/OBC) से यह तीनों अधिकार छीन लिए गए.
2. तक्षशिला, नालंदा, उज्जैन और विक्रमशिला उस समय (सम्राट अशोक से लेकर बृहद्रथ तक) के विश्व विख्यात विश्वविद्यालय थे. सोते हुए बृहद्रथ की हत्या पुष्यमित्र शुंग नामक ब्राह्मण ने कर दी और सत्ता संभालने के बाद मूलनिवासियों की महान परंपराओं को समाप्त करने करने के लिए उसने चारों विश्वविद्यालयों और वहाँ सुरक्षित साहित्य को नष्ट करने के आदेश दे दिए. डेढ़ माह तक विश्वविद्यालय जलते रहे. छह माह तक वहाँ के पुस्तकालयों को जलाया गया. साठ हज़ार बौध प्राध्यापकों की हत्या की गई जो वहाँ सुरक्षित विज्ञान, दर्शन, धर्म, इतिहास, साहित्य आदि के परमविद्वान थे.
यही कारण है कि कभी मातृत्वप्रधान समाज रहे भारत की स्त्री जाति, शूद्र और दलित अपने जिस इतिहास को ढूँढते फिरते हैं वह नहीं मिलता.

   

BAMCEF-1 – बामसेफ-1


बामसेफ़ की स्थापना काशीराम (Kanshi Ram) और डी. के. खापर्डे (D.K. Khaparde) ने सन् 1973 में की थी. इस संस्था के सदस्य अनुसूचित जातियों, जनजातियों और ओबीसी से संबंधित सरकारी कर्मचारी हैं या ऐसे एससी, एसटी और ओबीसी कर्मचारी हैं जो अन्य धर्मों जैसे इस्लाम, सिख, ईसाई आदि की ओर जा चुके हैं. इन्हें मूलनिवासी (Mulnivasi) नाम से संगठित किया जा रहा है.
कई उतार चढ़ाव के बाद आज यह संस्था वामन मेश्राम के नेतृत्व में एक मज़बूत आधार पा चुकी है. बामसेफ़ का लक्ष्य है ब्राह्मणीकल व्यवस्था के बारे में लोगों को जागरूक करना और उसके विरुद्ध संघर्ष करने के लिए तैयार करना. बामसेफ सरकारी कर्मचारियों की संस्था है अतः आंदोलन करने की इसकी सीमाएँ हैं. इसे ध्यान में रख कर एक और संगठन का निर्माण किया गया है जिसे देश अब भारत मुक्ति मोर्चा के नाम से जानता है.

 भारत मुक्ति मोर्चा की बैठक, पुणे
 

कल 23-09-2012 को चंडीगढ़ में बामसेफ का कार्यक्रम देखने का अवसर मिला. इसमें माननीय जे. एस. कश्यप, राष्ट्रीय महासचिव, भारत मुक्ति मोर्चा, नई दिल्ली को सुनना बहुत अच्छा अनुभव रहा. पहले पढ़ चुका था कि गाँधी ने पूना पैक्ट के ज़रिए कैसे दलितों के हितों पर कुठाराघात किया और महात्मा भी कहलाता रहा. साइमन कमिशन का विरोध करने वालों को हम देश भक्त मानते रहे और यह नहीं जान पाए कि उस विरोध के पीछे दलितों का ही विरोध था. पहली बार पता चला कि तिलक और गोखले जैसे लोग अंग्रेज़ों के खिलाफ़ क्यों बोलने लगे थे. उनकी स्वतंत्रता की अवधारणा का अर्थ था सत्ता और पैसे में हिस्सेदारी जो केवल ब्राह्मणों के लिए लक्षित थी. आज़ादी केवल पाकिस्तान को मिली थी. भारत को आज़ादी नहीं मिली बल्कि वह सत्ता का हस्तांतरण था जिसमें सत्ता ब्राह्मणों के हाथों में सौंप दी गई. इसका खुलासा प्रकारांतर से स्वाभिमान ट्रस्ट के राजीव दीक्षित ने भी किया है. शेष पढ़ा हुआ था कि काम निकलते ही कैसे गाँधी (जो जैन था) को कार्य मुक्त कर दिया गया.

जो बातें लोगों को पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती हैं उसके विरुद्ध तर्क को मन आसानी से स्वीकार नहीं करता. तथापि इस सत्र में ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में जो कहा गया है वह प्रकाशित साहित्य में उपलब्ध है और उसमें तथ्य है. कुल मिला कर यह जानकारीपूर्ण सत्र था.
मा. जे. एस. कश्यप, राष्ट्रीय महासचिव, भारत मुक्ति मोर्चा
इस अवसर पर प्रदर्शित साहित्य
इस अवसर पर प्रदर्शित साहित्य
इस अवसर पर दी गई प्रैस विज्ञप्ति

 

Megh Bhagat

 


Dalit Media-2 – दलित मीडिया-2


देश की दलित (संघर्षशील) जातियाँ बहुत समय से इस प्रतीक्षा में हैं कि देश में उनका अपना मीडिया हो जो दलितों की बात करे और उनका पक्ष सच्चाई के साथ रखे. दलित मीडिया अब स्वरूप ग्रहण करने लगा है.
दलित साहित्य अकादमियों के रूप में कई जगह कार्य हुआ है. दलितों के पक्ष को  शिद्दत से रखने वालों में एक पत्रकार वी. टी. राजशेखर शेट्टी (V.T. Rajshekhar) हैं. उनका कुछ साहित्य मैंने पढ़ा है. वे एक पत्रिका और Dalit Voice नाम की वेबसाइट चलाते रहे हैं जिसे काफी पढ़ा जाता रहा है. कुछ देर से वह दिख नहीं रही है. सुना था कि राजशेखर का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा था. आपका आभार राजशेखर जी. आपकी कुर्बानी का मूल्यांकन आगे चल कर होगा.
इन दिनों लॉर्ड बुद्धा टीवी नामक चैनल शुरू हुआ है जो डॉ. अंबेडकर की शिक्षाओं से प्रेरित है.
इधर कई दलित समुदायों ने अपने प्रकाशन निकाले हैं. मेघ समुदायों ने इस दिशा में कार्य किया है जिसे मैंने यहाँ और यहाँ संजोया है. कितने प्रकाशन धन की कमी के कारण बंद हो गए इसका हिसाब हो सकता है. इस दृष्टि से मुझे लगता है कि न्यूज़ लेटर और इश्तेहार बेहतर विकल्प हैं जो सस्ते पड़ते हैं जिन्हें आगे चल कर पुस्तक रूप में छापा जा सकता है.
बामसेफ के एक कार्यक्रम के दौरान एक पत्रिका देखी Forward. इसका फरवरी 2012 का अंक अभी हाल ही में देखा है. इसमें दिए आलेख ओबीसी का पक्ष सामने रखते हैं साथ ही दलितों के संदर्भ में राजनीति संतुलनों का नाप-तौल भी करते हैं. इसमें ओबीसी के लिए एक जीवन-दर्शन विकसित करने का प्रयास है जो बहुत महत्वपूर्ण है. यदि आप फेसबुक पर लॉगइन करके बैठे हैं तो इसे यहाँ देख सकते हैं.

इन दिनों मेरी नज़र से महत्वपूर्ण कार्य बामसेफ (मेश्राम) कर रहा है इसका मिशन बहुत बड़ा है. मेरे लिए नई जानकारी थी कि बामसेफ लखनऊ से हिंदी में और पुणे से मराठी में अपना दैनिक समाचार-पत्र निकालता है. आवधिक पत्रिकाएँ भी प्रकाशित की जा रही हैं. एक प्रकाशन से पता चला है कि उन्होंने बहुत-सी उपयोगी पुस्तकों का प्रकाशन किया है जो सस्ती दरों पर उपलब्ध है. इनकी उपलब्धता के बारे में आप निम्नलिखित पतों से जानकारी ले सकते हैं. (इन चित्रों पर क्लिक कीजिए और स्पष्ट पढ़ पाएँगे.)