मेघ भगत समुदाय के लोगों में भक्तिभाव आने का क्या कारण है इसके बारे में भगत मुंशीराम जी ने अपनी पुस्तक ‘मेघमाला’ के प्रकरण-2 (p-33) में लिखा है:-
क्या लाला गंगाराम ने इसी अर्थ में मेघों को भगत कहा था?
मेघ भगत समुदाय के लोगों में भक्तिभाव आने का क्या कारण है इसके बारे में भगत मुंशीराम जी ने अपनी पुस्तक ‘मेघमाला’ के प्रकरण-2 (p-33) में लिखा है:-
Megh Bhagat – मेघ भगत
Their habitats उनके घर |
Their capital उनकी पूँजी |
Their way to development उनका विकास मार्ग |
Their roofs उनकी छतें |
They compete with heavy weight cloth industry भारी कपड़ा उद्योग के साथ प्रतियोगिता |
(2)
Their displacement due to terrorism
There are many more Megh Bhagats from Kishatwar now living in Kathua District who had to leave their homes and land. Now they have no land to cultivate, no permanent work or employment. They have settled in village Bhalua Budhi, Barnoti, Nagri and near Sakta Chack. There are about 30 families. Just look at their conditions.
Bhagat Budda Mal Ji |
सन् 1947 में पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए और जालंधर में बसे मेघ भगत समाज में लगभग सभी लोग एक नाम से भली-भाँति परिचित हैं- भगत बुड्डामल. भार्गव कैंप, जालंधर में उनके नाम से एक ग्राऊँड बना है जिसे ‘भगत बुड्डामल ग्राऊँड’ कहते हैं.
विडंबना है कि आज मेघ भगत समाज में बहुत कम लोग इस सामाजिक कार्यकर्ता के बारे में विस्तार से जानते हैं जिसने अपने समुदाय के लिए जीवन भर अथक परिश्रम किया ताकि यह समुदाय भविष्य में भली प्रकार से ससम्मान जीवन व्यतीत कर सके.
उनका जन्म और पालन-पोषण स्यालकोट, पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ था. वे मेघ जाति के एक सामान्य परिवार में जन्मे थे. बहुत शिक्षित नहीं थे. लेकिन छोटी आयु में ही वे समाज सेवा के कार्य में प्रवृत्त हो गए थे. भारत में आने के बाद तो वे आजीवन समाज सेवा में रहे. मैंने स्वयं उन्हें अमृतसर, जालंधर और चंड़ीगढ़ में समाज सेवा में सक्रिय देखा है.
इनकी धर्मपत्नी का नाम भगवंती था. इनके अपनी कोई संतान नहीं थी अतः अपने भाई की संतान को गोद लेकर पाला. दमकता हुआ गोरा चेहरा. लंबा कुर्ता, तुर्रे वाली अफ़ग़ानी पगड़ी और पठानी सलवार पहनने वाले बुड्डामल जी का व्यक्तित्व बहुत आकर्षक और प्रभावपूर्ण था. वे धीरे-धीरे प्रेमपूर्वक और ठहरी हुई बात करते थे.
पार्क बनने के साथ उनका नाम अमर तो हो गया लेकिन उनके बारे में अभी बहुत-सी जानकारियाँ जुटाई जानी बाकी हैं. अभी हाल ही में भगत चूनी लाल भगत के नागरिक अभिनंदन समारोह में श्री बुड्डामल जी को याद किया गया था.
भगत बुड्डामल जी के फोटो और उनकी पेंटिंग की फोटो देने के लिए भगत बुड्डामल जी के परिवार का तथा पार्क के चित्र भेजने के लिए युवा ब्लॉगर श्री मोहित भगत का बहुत आभार. उनकी सहायता के बिना यह कार्य संभव नहीं था.
यह देख कर खुशी होती है कि भगत महासभा, जम्मू के कार्यकर्ता युवा हैं. जम्मू क्षेत्र में डॉ. राजेश भगत के नेतृत्व में एक बहुत बढ़िया टीम मेघों की सामाजिक और धार्मिक एकता के लिए सक्रिय है. यह लग़ातार काम कर रही है. सभी कार्यवाहियाँ टीम की भावना के साथ पूरी की जाती हैं. मेरी जानकारी के अनुसार, मेघों के किसी भी अन्य सामाजिक संगठन की अपेक्षा भगत महासभा का यह यूनिट अधिक कार्य कर पाया है और गाँव-गाँव में जा कर, लोगों से रूबरू हो कर एक वर्ष में बीसियों कार्यक्रम करने में सफल हुआ है. इसका मिशन मेघ भगतों को एक मज़बूत मंच देना है. प्राप्त अनुभव के साथ-साथ स्पष्ट दृष्टिकोण से यह टीम अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर है.
कई बातें शब्दों से बेहतर चित्र कहते हैं. इसलिए चित्रों से सुनिए :-
कल 03-08-2012 को आर्य समाज मंदिर, सैक्टर-16, चंडीगढ़ में श्रीमती तारा देवी की रस्म क्रिया के बाद भगत प्रेम चंद जी ने एक स्मारिका (Souvenir/सुवेनेयर – 2012-13) मुझे दी.