हैदराबाद के मेरे एक मित्र पुलि पांडु (Puli Padu) ने बताया था कि डॉ अंबेडकर आमतौर शाम के समय अपनी मस्ती में कबीर के भजन (शब्द) गाया करते थे. वे महर समुदाय से थे. यह एक योद्धा और जुझारू जाति रही है. क्या वे कबीरपंथी थे? इस बार भी विकिपीडिया के संदर्भ काम आए और पुष्टि हुई कि वे कबीरपंथी परिवार से थे. भारत के कबीरपंथी बुद्धिजीवी इस बात से गौरवान्वित महसूस करते हैं कि भारतीय संविधान पर मानवधर्म के जिन सिद्धांतों की छाप है उसके मूल में कहीं-न-कहीं कबीर की वाणी और दर्शन है. भारतीय संदर्भ में कबीरमत और उनसे प्रभावित अन्य धर्मों, संप्रदायों और मतों की शिक्षाएँ इस बिंदु की पुष्टि करती हैं. कबीर की शिक्षाएँ अमेरिका में पहुँच रही हैं. अस्सी के दशक में कबीर के नाम पर साहित्यिक दुकानें वहाँ खुलनी शुरू हो चुकी थीं.
(All links retrieved on 04-12-2010)
2 comments:
- एक नई जानकारी प्रदान करने के लिए आभार।
- मेरे लिए एकदम नई जानकारी है ये धन्यवाद