पोंटी चड्डा के मामले में मेरी नज़र केवल इस तथ्य पर अटक कर रह गई है कि उनके परिवार के कुछ सदस्यों को एक ही दिन में कई हथियारों के लाइसेंस दे दिए गए. उसके साथ ही बुलंदशहर में एक पति की हत्या (जिसे बदतमीज़ मीडिया अभी भी ऑनर किलिंग कहे जा रहा है) में प्रयोग हुए फायर आर्म्ज़ ने मुझे उन सभी घटनाओं की याद दिला दी है जिनमें यहाँ-वहाँ गली-कूचे में पता नहीं कहाँ से तमंचे, पिस्तौलें, राइफलें निकल आती हैं और खून से सनी लाशें छोड़ जाती हैं.
Monthly Archives: November 2012
Ashoka the great – Ravana the great – अशोक महान – रावण महान
बचपन से एक प्रश्न मन में था कि लंका में बनी अशोक वाटिका में क्या कभी सम्राट अशोक रहते थे या यह वाटिका अशोक ने बनवाई थी? सीता-माता जिसमें रह रही थी उस वाटिका को हनुमान ने क्यों नष्ट कर दिया?
यथा हि चोरः स तथा ही बुद्ध स्तथागतं नास्तीक मंत्र विद्धि तस्माद्धि यः शक्यतमः प्रजानाम् स नास्तीके नाभि मुखो बुद्धः स्यातम् -अयोध्याकांड सर्ग 110 श्लोक 34
इसी संदर्भ में फेसबुक पर क्षेत्रीय शक्यपुत्र की एक अन्य पोस्ट देखी जो इस कहानी को अन्य तरीके से कहती है. फिर भी इस बात का ध्यान रखना होगा कि पुरानी कथा-कहानियाँ कई तरीके सुनी-सुनाई जाती रही हैं अतः लिखी बात का अर्थ भी हर व्यक्ति को अलग तरीके से संप्रेषित होता है. (हालाँकि शक्य पुत्र की यह पोस्ट रामायण की कथा में खोज-खुदाई करती है और अशोक के संदर्भ में कुछ समानताओं और विसंगतियों को ढूँढ लाती है, लेकिन इस पोस्ट में अपनी भी कुछ विसंगतियाँ हो सकती हैं.) ब्लॉग की दृष्टि से इसका थोड़ा सा संपादन मैंने किया है.
यथा हि चोरः स तथा ही बुद्ध स्तथागतं नास्तीक मंत्र विद्धि
रामायण में इसकी नक़ल इस प्रकार की गई है-
वनवास के समय, एक रावण (देवानुप्रिया त्तिष्य लंका के राजा को रावण बना दिया) ने सीता का हरण किया था (सही घटना का अर्थ “श्रीलंका का राजा देवानुप्रिया त्तिष्य महेन्द्र और उनके साथियों को लंका लेकर चला गया”). रामायण के अनुसार, सीता और लक्ष्मण कुटिया में अकेले थे तब एक हिरण की वाणी सुन कर सीता परेशान हो गयी और श्रीराम अपनी भार्या की इच्छा पूरी करने हरिण के पीछे-पीछे हो लिए (सही घटना का अर्थ “हरिण की आवाज सुन कर श्रीलंका का राजा देवानुप्रिया त्तिष्य हरिण के पीछे-पीछे हो लिया”). राम को बहुत दूर ले गया. मौका पा कर राम ने तीर चलाया और हिरन बने मारीच का वध कर दिया. मरते-मरते मारीच ने ज़ोर से “हे सीता! कहा (सही घटना का अर्थ “हरिण ने राजा देवानुप्रिया त्तिष्य को मारीच (मिस्सक) पर्वत ले गया जहाँ सम्राट अशोक का बेटा भदंत महेन्द्र अपने साथियों के साथ रुके थे”). रामायण में मारीच नामक इस पर्वत को रावण का मामा ‘मारीच‘ कह कर नाम की नक़ल की गई. वास्तव में मारीच यह पर्वत है जहाँ श्रीलंका का राजा देवानुप्रिया त्तिष्य और सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र और उनके साथियों में पहली भेंट हुई थी…….देवानुप्रिया त्तिष्य का भदंत महेन्द्र के साथियों के परिचय को काल्पनिक कथा का स्वरूप देकर रामायण के पाखंडी रचनाकार ने “सीता हरण” के नाम से जनमानस के मन-मष्तिक में ठूँस दिया.”
BAMCEF-3 – बामसेफ-3
Dalit Community (Today’s Valmikis) were mislead – दलित समुदाय (आज के वाल्मीकियों) को गुमराह किया गया था
वाल्मीकि जयंती और दलितमुक्ति का प्रश्न
Aborigines (Adivasis) struggle for independence – स्वतंत्रता के लिए मूलनिवासी (आदिवासी) संघर्ष
25 नवंबर 2010 को मैंने भीलों (भील मीणा) मूलनिवासियों की अपनी स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्ष के बारे में एक पोस्ट यहाँ लिखी थी. भीलों की वह कुर्बानी जलियाँवाला बाग़ की घटना से कई गुणा बड़ी है जिसे इतिहासकारों ने समुचित स्थान न दे कर बेईमानी का काम ही किया है क्योंकि वह संघर्ष अंग्रेज़ों के विरुद्ध नहीं था बल्कि उस व्यवस्था के विरुद्ध था जिसने उन्हें ग़ुलाम बनाया हुआ था. अब तो ब्राह्मण भी उस व्यवस्था को ‘ब्राह्मणवाद’या ‘मनुवाद’कहने लगे हैं.
Bharat Jansandesh भारत जनसंदेश – Dalit Media-4 – दलित मीडिया-4 –
Manuvadi hate Lord Macaulay – मनुवादी मैकाले से घृणा करते हैं
Matua Movement – मतुआ आंदोलन
हरिचंद-गुरुचंद नामक इन दोनों ठाकुरों ने बंगाल, बिहार, असम और ओडिशा में डेढ़ हज़ार प्राइमरी स्कूल खोल कर ब्राह्मणों को चुनौती दी. इसके बाद आठ से अधिक उच्च विद्यालय (हाई स्कूल) खोले गए. शिक्षा देने के साथ उन्होंने चांडाल आंदोलन, नील आंदोलन और भूमि आंदोलन का भी नेतृत्व किया. सन् 1865-66 में हरिचंद ने ब्रिटिश को साथ लेकर ज़मींदारों के विरुद्ध भूमि आंदोलन किया था. इन आंदोलनों को ब्राह्मण इतिहासकारों ने इतिहास से दूर रखा. हरिचंद और गुरुचंद ने उन क्षेत्रों में अंग्रेज़ों के विरुद्ध भी किसान आंदोलन चलाया जहाँ अंग्रेज़ किसानों को नील की खेती करने के लिए मजबूर करते थे जिससे उनकी ज़मीन तबाह हो जाती थी.