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Arvind Kejriwal- New version – अरविंद केजरीवाल- नया वर्शन

अरविंद केजरीवाल आदमी ने एंटी-रिज़र्वेशन एक्टिविस्ट के तौर पर अपना करियर एसएसएस नेटवर्क से शुरू किया था और उसी की नींव पर अपना एनजीओ साम्राज्य खड़ा किया. आज उनकी राजनीतिक पार्टी में भी वही लोग जुड़े हैं जो ‘यूथ फॉर इक्वेलिटी’ वाले (एंटी रेज़रवेशनिस्ट) हैं. अपनी पृष्ठभूमि के आधार पर इन्होंने अन्ना हज़ारे को टाँक लिया.
आगे चल कर अन्ना सँभल गए. जनलोकपाल को लेकर चलाए गए इनके आंदोलन, जिसे मनुवादी भाषा में तांडव कहा जाता है, का सफल प्रयोग इन्होंने संसद को हिला कर रख देने के लिए किया. पार्लियामेंट में यादव नेताओं ने इस बात को समझा और उनके प्रतिरोध, जिसमें अन्य पार्टियाँ भी शामिल थीं, के कारण इनकी मंशा पूरी नहीं हो सकी.
काफी संशोधनों के साथ हाल ही में जनलोकपाल बिल पास हुआ है. इसका विरोध केजरीवाल ने किया है जबकि अन्ना और किरण बेदी ने इसे स्वीकार किया है. इस विभाजन का अर्थ आप समझ सकते हैं. केजरीवाल को अराजक कहना अतिश्योक्ति नहीं है. इन्हें संविधान के साथ खिलवाड़ करने के लिए खुला नहीं छोड़ा जा सकता. CM हो कर भी धारा 144 का उल्लंघन करना क्या प्रमाणित करता है?
मीडिया, और यह खुद भी, अपनी बदतमीज़ी को अराजकता कह रहे हैं.
Cough up for you have to pay to the society

Arvind Kejriwal speaks complete truth but not final truth – अरविंद केजरीवाल ने बोला पूर्ण सत्य परंतु अंतिम नहीं

मैं अरविंद केजरीवाल या इंडिया अगेंस्ट करप्शन का फैन कभी नहीं रहा. तथापि कभी किसी आंदोलन के दौरान कुछ बातें बहुत बढ़िया कही जाती हैं जिनमें आज का सत्य रहता है.
26-08-2012 को दिल्ली में अपने आंदोलन के दौरान अरविंद ने कहा है कि संसद में कोई विपक्ष नहीं है. करप्शन में कांग्रेस और भाजपा दोनों की भूमिका एक सी है. यह कह कर अरविंद नेबड़ी सच्चाई पर बड़ा हाथ रखा है. लेकिन दोनों पार्टियों में भरे उस समूह पर सीधे उँगली नहीं रखी जिसे भ्रष्ट नीतियों का जनक कहा जाता है. ऐसा नहीं है कि अरविंद को पता नहीं था. बस वे उसका नाम न लेने की राजनीति कर गए.
नए-नए अटल बिहारी ने सत्ता में आने के बाद कहा था कि कोई भी पार्टी हो सत्ता का चेहरा एक जैसा होता है. केजरीवाल की उक्ति भी वैसी ही है. केवल समय बदल गया है और कोयला घोटाले में गोरा संदर्भ मिल गया है.पता नहीं हम कब स्वीकार करेंगे कि हमारी नीतियाँ अंग्रेज़ों की हैं और हमारे सिस्टम का कार्य ही भ्रष्टाचार है. कोई कहता है कि सत्ता काले अंग्रेज़ों के हाथ में चली गई है. यह हम भारतीयों के काले-भूरे रंग का अपमान है. सच तो यह है कि सत्ता अंग्रेज़ों के हाथ से कभी गई ही नहीं. भ्रष्टाचार संबंधी सारे कानून पढ़ कर देख लें वे सभी गोरे हैं. काले धन की सारी पर्तें उधेड़ कर देख लें उसके नीचे से कोई गोरा निकलेगा.

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